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सात दिवसीय होली फाग महोत्सव का हुआ भव्य समापन समारोह

बालोतरा

माली समाज द्वारा आयोजित भव्य गैर नृत्य कार्यक्रम, युवाओं की बढ़ती भागीदारी से संस्कृति को मिली नई पहचान

बालोतरा। होली महोत्सव के अवसर पर राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में पारंपरिक गैर नृत्य कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें हजारों लोगों ने भाग लिया। विशेष रूप से बालोतरा क्षेत्र में माली समाज द्वारा आयोजित गैर नृत्य महोत्सव ने अपनी भव्यता और सांस्कृतिक छटा के कारण सभी का ध्यान आकर्षित किया। पिछले 19 वर्षों से माली समाज इस आयोजन को बड़े स्तर पर आयोजित कर रहा है, जिसमें समाज के युवा और बुजुर्ग मिलकर इस परंपरा को जीवंत बनाए हुए हैं। गैर नृत्य का आयोजन शाम के समय किया गया, जब सैकड़ों कलाकार और हजारों दर्शक मैदान स्थल पर पहुंचे। ढोल-नगाड़ों की गूंज और रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में सजे कलाकारों ने जब गैर नृत्य किया, तो पूरा माहौल भक्ति और उमंग से भर उठा।

इस आयोजन में विशेष बात यह रही कि युवाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है, जिससे यह पारंपरिक कला नई पीढ़ी तक सहज रूप से पहुंच रही है। कलाकारों ने फाग गीतों, ढोल-नगाड़ों और राजस्थानी भजनों की धुनों पर नृत्य किया, जिससे समूचे वातावरण में उत्साह का संचार हो गया।

राजस्थान से विदेशों तक गैर नृत्य की पहचान

 

राजस्थानी संस्कृति का प्रतीक गैर नृत्य अब केवल राजस्थान तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना ली है। डेजर्ट ट्रेडिशनल आर्ट एंड यूथ सेंटर, जो 2000 से भारतीय लोक कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत है, ने गैर-नृत्य को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस के प्रथम अध्यक्ष डूंगरचदं माली ने 2008 तक पैनल में रहकर न केवल लोक कला के संरक्षण और संवर्धन का कार्य किया, बल्कि नई पीढ़ी को प्रोत्साहित भी किया। 2005 और 2009 में नई दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में राजस्थान के प्रसिद्ध गैर नृत्य को प्रदर्शित कर, इस कला को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई गई। इसके अलावा, गैर नृत्य की प्रस्तुति देशभर के प्रमुख समारोहों और त्योहारों में की गई, बालोतरा उपखंड के जसोल, असाडा, जागसा, बुड़ीवाड़ा, आसोतरा, कुड़ी, किटनोद और बिठूजा सहित अन्य गांवों की गैर नृत्य टीमें भारत के विभिन्न हिस्सों में अपनी प्रस्तुतियां दे चुकी हैं। यही नहीं, इन गांवों की टीमों ने विदेशों में भी राजस्थान की इस अनूठी कला का प्रदर्शन कर वैश्विक स्तर पर अपनी छाप छोड़ी है।

गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने बढ़ाई शोभा

इस विशेष आयोजन में राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री अविनाश गहलोत ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और मंच पर आकर

राष्ट्रवादी भजन गायक प्रकाश माली के फाग गीतों पर नृत्य भी किया। उनके साथ पचपदरा विधायक अरुण चौधरी, रूपचंद सांलेचा और शान्तिलाल सहित कई गणमान्य नागरिक भी मौजूद रहे। इन प्रमुख हस्तियों की मौजूदगी ने कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ाया। मंत्री अविनाश गहलोत ने गैर नृत्य की परंपरा को सराहते हुए कहा कि “यह आयोजन न केवल हमारी संस्कृति को सहेजने का कार्य कर रहा है, बल्कि समाज को एकजुट करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।”

लोक नृत्यों की मनमोहक प्रस्तुतियां

कार्यक्रम में केवल गैर नृत्य ही नहीं, बल्कि राजस्थान के अन्य लोक नृत्यों की प्रस्तुतियां भी हुईं। आंगी-बागी गैर नृत्य, तलवार गैर नृत्य, कालबेलिया, छतरी गेर नृत्य, डांडिया गेर, बृज की होली, भवाई नृत्य- इस राजस्थानी लोक नृत्य में कलाकारों ने सिर पर कई घड़े रखकर अद्भुत संतुलन का प्रदर्शन किया, राधा-कृष्ण नृत्य – भक्तिभाव से ओत-प्रोत इस नृत्य ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। हर प्रस्तुति पर दर्शकों ने तालियों से कलाकारों का जोश बढ़ाया और पूरे कार्यक्रम में एक उमंगभरा माहौल बना रहा। बालोतरा के इस विशाल आयोजन में महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। स्टेडियम और गैर मैदान स्थल पर हजारों की संख्या में लोग उपस्थित थे, जिन्होंने पूरे जोश और उल्लास के साथ इस उत्सव का आनंद लिया। होली महोत्सव के अंतर्गत आयोजित इस गैर नृत्य कार्यक्रम ने समाज के सभी वर्गों को एक साथ जोड़ने का कार्य किया। लोगों ने पारंपरिक परिधानों में नृत्य कर इस आयोजन को यादगार बना दिया।

संस्कृति और परंपरा को सहेजने की पहल

 

इस तरह के आयोजन हमारी धरोहर और परंपराओं को जीवंत बनाए रखते हैं। गैर नृत्य केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति, एकता और परंपराओं को सहेजने का माध्यम भी है। माली समाज द्वारा लगातार सन 2000 से आयोजित यह भव्य गैर नृत्य उत्सव समाज के लोगों के आपसी मेलजोल, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। यह आयोजन यह दर्शाता है कि राजस्थानी संस्कृति कितनी समृद्ध और गौरवशाली है, और आने वाली पीढ़ियां इसे गर्व के साथ आगे बढ़ा रही हैं।

अगले वर्ष और भी बड़े आयोजन की उम्मीद

इस वर्ष के सफल आयोजन के बाद अब अगले वर्ष इस महोत्सव को और भी भव्य बनाने की योजना बनाई जा रही है। आयोजकों ने बताया कि आने वाले वर्षों में इस उत्सव को और अधिक आकर्षक और भव्य बनाने के लिए विशेष तैयारियां की जाएंगी, जिससे राजस्थान की इस अनूठी सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक स्तर पर और अधिक प्रसिद्धि मिल सके। गैर नृत्य महोत्सव केवल एक नृत्य कार्यक्रम नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर, सामाजिक एकता और परंपराओं को आगे बढ़ाने का एक सशक्त माध्यम है। हजारों लोगों की सहभागिता, युवाओं की बढ़ती रुचि और विदेशों तक पहुंच रही इस कला ने इसे और भी विशेष बना दिया है। ऐसे आयोजनों से राजस्थान की संस्कृति को वैश्विक मंच पर पहचान मिलती है और यह पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती रहती है।

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