
जयपुर। 16वीं राजस्थान विधानसभा सत्र के पहले दिन, शुक्रवार को सदन में एक अलग ही दृश्य देखने को मिला। शिव विधानसभा क्षेत्र से विधायक रविन्द्र सिंह भाटी राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान भगवा रंग की शर्ट पहनकर पहुंचे, जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में “ओरण बचाओ” लिखा हुआ था। उनके इस प्रतीकात्मक संदेश ने प्रदेश में ओरण (गोचर भूमि और चारागाह) के संरक्षण की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित किया। ओरण: गौवंश के अस्तित्व से जुड़ा अहम मुद्दा विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया कि उनका यह कदम केवल एक व्यक्तिगत प्रयास नहीं, बल्कि समस्त गौवंश, वन्यजीवों और पारंपरिक चारागाहों की रक्षा के लिए एक व्यापक जन जागरूकता अभियान है। उन्होंने कहा कि हिंदू संस्कृति में गौवंश को अत्यधिक पवित्र माना गया है, और गायों की रक्षा के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किए जाते रहे हैं, लेकिन यह चिंता का विषय है कि अगर ओरण और गोचर भूमि ही नहीं बचेंगी, तो गौवंश कहाँ विचरण करेगा? उन्होंने कहा कि राज्य के कई इलाकों में ओरण भूमि को अतिक्रमण, अवैध कब्जों और सरकारी उपेक्षा के कारण तेजी से नष्ट किया जा रहा है। इसके चलते न केवल गौवंश बल्कि अन्य वन्य जीव-जंतु, पक्षी और जैव विविधता भी गंभीर संकट में पड़ रही है। गौवंश के संरक्षण के लिए ओरण बचाना अनिवार्य शिव विधायक भाटी ने यह भी कहा कि राजस्थान में परंपरागत रूप से ओरण भूमि ग्रामीण अर्थव्यवस्था, जैव विविधता और धार्मिक मान्यताओं से गहराई से जुड़ी हुई है। प्राचीन समय से यह स्थल गौवंश, नीलगाय, हिरण, ऊँट जैसे सैकड़ों जीव-जंतुओं के लिए सुरक्षित आश्रय स्थल रहे हैं। यदि यह भूमि नष्ट होती रही, तो प्रदेश में गौवंश की देखभाल और संरक्षण भी असंभव हो जाएगा। उन्होंने विधानसभा में बैठे सभी जनप्रतिनिधियों से अपील की कि वे ओरण और गोचर भूमि के संरक्षण को प्राथमिकता दें और सरकार को इस दिशा में ठोस नीतियाँ लागू करने के लिए मजबूर करें। ओरण संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की मांग शिव विधायक ने कहा कि यदि ओरण को संरक्षित नहीं किया गया, तो आने वाले वर्षों में गौवंश के लिए चारा और प्राकृतिक आवास की भारी कमी हो जाएगी, जिससे न केवल पशुपालकों की आजीविका प्रभावित होगी, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र पर भी गहरा असर पड़ेगा। उन्होंने मांग की कि राजस्थान सरकार को ओरण और गोचर भूमि के अतिक्रमण को रोकने के लिए कठोर कानून बनाने चाहिए और उनके पुनर्वास एवं संवर्धन के लिए विशेष बजट का प्रावधान किया जाना चाहिए। समाज को भी निभानी होगी जिम्मेदारी उन्होंने समाज के सभी वर्गों से भी ओरण को बचाने के लिए आगे आने की अपील की और कहा कि यदि आज हम ओरण नहीं बचाएंगे, तो आने वाली पीढ़ियों को गौवंश और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए बड़े संकटों का सामना करना पड़ेगा।