
मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना करने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती:-महंत श्री नारायणगिरी जी महाराज
बालोतरा/जसोल: श्री राणी भटियाणी मंदिर संस्थान (जसोलधाम) में चैत्र नवरात्रा पर्व के चतुर्थ दिवस, पंचमी तिथि पर पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतर्राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं संत महामंडल अध्यक्ष दिल्ली एनसीआर तथा श्री दूधेश्वर महादेव मंदिर, गाजियाबाद पीठाधीश्वर महंत श्री नारायणगिरी जी महाराज के पावन सानिध्य में संस्थान अध्यक्ष रावल किशन सिंह जसोल द्वारा मां जसोल के असंख्य भक्तों की सम्पूर्ण मनोकामना पूर्ति हेतु संकल्प के साथ मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कन्दमाता का पूजन विधि विधान एवं पारंपरिक रीति-रिवाज से किया गया। यह पूजन वैदिक मंत्रोचारण के साथ श्री दूधेश्वर वेद विधा पीठ, गाजियाबाद के विद्वान आचार्यों एवं पंडितों द्वारा करवाया गया।
अन्नपूर्णा प्रसादम एवं छप्पन भोग का आयोजन
पंचमी तिथि के शुभ अवसर पर भोजन प्रसादी (अन्नपूर्णा प्रसादम) एवं छप्पन भोग का लाभ सुशीला देवी फाफट, धर्मपत्नी स्वर्गीय रामरख फाफट निवासी-फलौदी (हाल निवास दुर्ग, छत्तीसगढ़) द्वारा लिया गया। लाभार्थी परिवार ने अन्नपूर्णा प्रसादम एवं छप्पन व्यंजनों का भोग श्री राणीसा भटियाणीसा, श्री बायोसा, श्री सवाईसिंह जी, श्री लाल बन्ना सा, श्री खेतलाजी एवं श्री काला-गौरा भैरव के मंदिरों में अर्पित कर मां जसोल के समस्त भक्तों के जीवन में खुशहाली के लिए मंगल कामनाएं की। मंदिरों में भोग अर्पण के उपरांत लाभार्थी परिवार ने जसोलधाम दर्शनार्थ पधारे समस्त भक्तों में अन्नपूर्णा प्रसादम एवं छप्पन भोग प्रसादम का वितरण कर पुण्य लाभ अर्जित किया।
गैर नृत्य एवं कन्या पूजन
पंचमी तिथि के अवसर पर जसोल ग्राम के स्थानीय मालाणी सांस्कृतिक कला केंद्र के गैर नृत्य कलाकारों ने शानदार प्रस्तुतियां दीं, जिन्हें देखकर भक्तगण मंत्रमुग्ध हो गए। साथ ही, लाभार्थी परिवार ने जसोल ग्राम सर्व समाज की कन्याओं एवं बटुकों का विधि विधान एवं पारंपरिक रीति-रिवाज से पूजन कर उन्हें फल प्रसादम एवं अन्न प्रसादम अर्पित किया तथा दक्षिणा भेंट की।
मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना के लाभ
जसोलधाम के समस्त भक्तों को संबोधित करते हुए महंत श्री नारायणगिरी जी महाराज ने कहा कि चैत्र नवरात्रि की पंचमी तिथि को मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा का विधान है। मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना करने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती है, और कार्यों में हो रही विघ्न-बाधाएं समाप्त होती है। स्कंदमाता की भक्तिभाव से पूजा-अर्चना और व्रत करने से जातक की मनोकामनाएं पूर्ण होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान कार्तिकेय की माता होने के कारण मां दुर्गा के इस स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है।
मां स्कंदमाता का स्वरूप
मां स्कंदमाता की गोद में भगवान स्कंद (कार्तिकेय) विराजमान है। मां कमल के आसन पर विराजित है, जिसके कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। मां का वाहन सिंह है। मां भगवती के इस पंचम स्वरूप की उपासना करने से संतान संबंधी परेशानियां दूर होती है और भक्तों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।